रामगढ़वा/ मोतिहारी
प्रत्युष कुमार
रामगढ़वा में आई प्रलयंकारी बाढ़ तो चली गई पर हजारों एकड़ जमीन पर तबाही की निशान छोड़ गई है धान और गन्ने के फसल के साथ बिचड़े भी गल गए हैं, किसानों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है पुनः धान की रोपनी करने में सक्षम है पुनः रोपनी करने में खर्च दोगुना बढ़ जाता है दस पंचायतों मैं फसलों की बर्बादी स्पष्ट रूप से दिख रही है बर्बादी की आलम देख किसानों का कलेजा फट रहा है बाढ़ आने से पूर्व किसान करीब नब्बे प्रतिशत रोपनी कर चुके थे, जो किसान थोड़ा बहुत बिचडा बचा कर रखा था बाढ़ ने उसे भी बर्बाद कर दिया, किसान दोहरी मार झेल रहे हैं धान और गन्ना की रोपनी के समय मजदूरी, खाघ उर्वरक, कीटनाशक खरपतवार की दवाएं देने के बाद सब बर्बाद हो गया परंतु यह क्षेत्र बाढ़ ग्रस्त घोषित नहीं हुआ, इस बार की बाढ़ करीब चौबीस हजार लोगों को प्रभावित किया है मंगलपुर पटनी, परसौना मदन, अहिरवालिया, सिंघासिनी, बैरिया पंचायत में क्षति पहुंचाई है
क्या कहते हैं किसान
– फसल क्षति का जो आंकड़ा है सरकारी आंकड़ा से तीन गुना अधिक हैपीड़ित किसान देवेंद्र सिंह, संजय कुमार, नागेंद्र सिंह, झुना सिंह, अन्य लोगों का कहना है कि लगातार एक सप्ताह तक फसल डूबा रहा, जिसके कारण फसल पूर्ण रूप से नष्ट हो गया, वहीं कुछ किसानों को यह भी कहना है आपदा के समय सरकार की ओर से मिलने वाली मुआवजा यहां के जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के कारण नहीं मिल पा रही हैं, साल 2017-18 में भीषण बाढ़ की चपेट में क्षेत्र था स्थानीय विधायक एवं सांसद के निर्देश के बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया था,
क्या कहते हैं अधिकारी
, प्रखंड कृषि पदाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया की वित्तीय वर्ष2020-21में धान अच्छदान 7 हजार 230 हेक्टयेर पूरा हुआ था, कुछ पंचायत में आंशिक क्षति है आकलन कर प्रतिवेदन भेज दिया जाएगा