Thursday, September 28, 2023
Homeबिहारकौन है रामचंद्र मांझी, जिन्हें 95 साल की उमर में लौंडा...

कौन है रामचंद्र मांझी, जिन्हें 95 साल की उमर में लौंडा नाच के लिए मिला पद्मश्री सम्मान

 

लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार बिहार के रामचंद्र मांझी को पद्म श्री सम्मान मिलेगा.

लौंडा नाच के प्रसिद्ध लोक कलाकार बिहार के रामचंद्र मांझी को पद्म श्री सम्मान दिया गया है।

बिहार में लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार रामचंद्र मांझी (Ramchandra Manjhi) सारण जिले के नगरा, तुजारपुर गांव के रहने वाले हैं।

भोजपुरी के शेक्सपियर (Shakespeare of Bhojpuri) कहे जाने वाले लोक कलाकार भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) के शिष्य लोकमंच के कलाकार रामचंद्र मांझी (Ramchandra Manjhi) को इस बार पद्मश्री से नवाजा जाएगा. भिखारी ठाकुर के साथ कर चुके रामचंद्र मांझी लौंडा नाच के कलाकार रहे हैं. 94 वर्ष की उम्र में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अवार्ड (Padma Shree) मिलने की सूचना प्राप्त होने पर समस्त लोककलाकारों, सारणवासियों सहित उनके परिजनों में खुशी का माहौल है.

लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार रामचंद्र मांझी सारण जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले हैं. रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. उन्हें राष्ट्रपति ने प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की थी. रामचंद्र मांझी 95 वर्ष के होने के बाद भी आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते हैं.

नाच बिहार की प्राचीन लोक नृत्यों में से एक है. इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहन कर नृत्य करता है. किसी भी शुभ मौके पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं

नाच मंडली में अब बहुत कम ही कलाकार बचे हैं. बिहार में आज भी लोग लौंडा नाच का बेहद ही पसंद करते हैं. भिखारी ठाकुर रंगमंडल के संयोजक जैनेंद्र दोस्त द्वारा गठित रंगमंडल में आज भी कई आयोजनों में रामचंद्र मांझी अभिनय करते नजर आते हैं.



 

सारण जिले के रामचंद्र माझी को भारत सरकार ने इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। रामचंद्र माझी भिखारी ठाकुर के नाच मंडली में शामिल सदस्यों में से एक है। भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। रामचंद्र मांझी भिखारी ठाकुर की नाटक विदेशिया में वेश्या का किरदार निभाया करते थे। 95 साल की उम्र में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा है। ऐसा कहा जाता है कि लौंडा नाच की परंपरा रामचंदर माझी नहीं शुरू की थी। रामचंद्र माझी को 2017 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था।

वे आज भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्यों में से एक हैं। वे 10 वर्ष की उम्र से ही भिखारी ठाकुर के रंगमंच से जुड़ गए थे और उनकी नाच टोली में काम करते आ रहे हैं। उन्होंने गबर गीचोर, विदेशिया, गंगा स्नान, भाई विरोध, बेटी वियोग, विधवा विलाप, जैसे नाटकों में अपनी बुलंद आवाज और अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया है। वह दलित समाज से ताल्लुक रखते हैं।

नाच बिहार की प्राचीन लोक नृत्यों में से एक है. इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहन कर नृत्य करता है. किसी भी शुभ मौके पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं।आज के आधुनिक युग में लौंडा नाच जैसे परंपरा है अब हाशिए पर चली गई है। कुछ गिने-चुने हेमंत लिया बची हुई है जो यह नाच का काम अभी भी कर रही है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments