भारत गांवों का देश है। देश की 70 प्रतिशत से अधिक की आबादी गांवों में निवास करती हैं। गांव का विकास किये बिना देश का विकास संभव नहीं है।जब गांव स्मार्ट बनेंगे तो देश अपने आप स्मार्ट बन जायेगा। फिर जब बात बिहार की हो तो बिहार में गांवों में निवास करने वालों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है ।
गांव देश और प्रदेश की आत्मा है। गांव के विकास के बिना देश के विकास की बात करना बेमानी होगी। देश का आखिरी पायदान का व्यक्ति गांवो में निवास करता है और आखिरी पायदान के व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी गांवो की सरकार अर्थात पंचायत प्रतिनिधि पर होती है। पंचायत प्रतिनिधि धरातल पर गांव के वाशिंदों की जरूरत के हिसाब से सरकार की योजनाओं को मूर्त रूप देने का काम करते हैं। लेकिन आज आजादी के 75 वर्ष पूरे हो जाने के बावजूद भी देश के गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
आज देश एक तरफ चन्द्रमा और मंगल ग्रह पर पहुंच जीवन की संभावना तलाश रहा तो दुसरी तरफ देश के गांवों में एक अच्छी सड़क का भी अभाव है।सुबे की सरकार ने गांव के विकास के लिए गांव का विकास गांव के लोगों द्वारा करवाने के उद्देश्य से गांव में कार्य करने के लिए वार्ड क्रियान्वयन समिति को अधिकृत किया जिससे गांव का विकास गांव के लोगों द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार कर गांव को स्मार्ट बना सके। लेकिन पंचायत प्रतिनिधि सरकार की मंशा पर कितने खरे उतरे हैं उससे सूबे की जनता भली भांति परिचित हैं।
एक बार फिर से सुबे में गांवों की सरकार चुनने के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है। पंचायत चुनाव के माध्यम से सुबे की आठ हजार से अधिक पंचायतों की आवाम अपने प्रतिनिधि का चुनाव आगामी पांच साल के लिए फिर करेंगी। चुनावी समर में विजय प्राप्त करने वाले प्रतिनिधि पर आगामी पांच साल तक अपने क्षेत्र का चहुंमुखी विकास करने की जिम्मेदारी होगी ।अब देखना है कि प्रदेश की स्मार्ट जनता अपनी स्मार्ट सोच से जिसे जनप्रतिनिधि चुनती है वे आज 21 सदी में पंचायत को सड़क,शिक्षा , पानी आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाकर तकनीकी शिक्षा गांवों में रोजगार सृजन के नये अवसर पैदा कर गांवों को स्मार्ट बनायेंगे