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पटना. बिहार में इन दिनों राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के बीच पार्टी दफ्तर के मुद्दे पर सियासी तलवारें खिंचती दिख रही हैं. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand SIngh) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निशाना साधते हुए कहा है कि राजनीतिक वजहों से नीतीश कुमार आरजेडी (RJD) के कार्यालय विस्तार के लिए ज़मीन नहीं दे रहे हैं. जबकि उनकी पार्टी बिहार (Bihar) की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और जेडीयू (JDU) तीसरे नंबर का दल है. बावजूद इसके जेडीयू के दफ्तर का लगातार विस्तार हो रहा है लेकिन आरजेडी को ज़मीन नहीं दी जा रही है.
जगदानंद सिंह के आरोपों के बाद जेडीयू के तरफ से मोर्चा खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने संभाला और उन्होंने जगदानंद सिंह पर तीखा पलटवार किया. ललन सिंह ने कहा कि जगदानंद सिंह कुतर्क करने में माहिर हैं और यह उनकी पुरानी आदत रही है. जगदानंद सिंह को पता होना चाहिए कि वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले नीतिगत फैसला लिया था कि जो भी राजनीतिक पार्टी जिसे मान्यता प्राप्त है उसको पार्टी कार्यालय के लिए ज़मीन आवंटित किया जाएगा. उसके पहले पंद्रह साल तक जगदानंद सिंह सरकार में मंत्री थे, तब क्यों नहीं नीतिगत फैसला लिया था. उन्होंने कहा कि यह निर्णय तो नीतीश कुमार ने लिया था और तब आरजेडी की पसंद के हिसाब से उन्हें भवन आवंटित किया गया था. अब आरजेडी विस्तार करने के लिए ज़मीन मांग रही है. वो ज़मीन हाईकोर्ट को ट्रांसफर है, वो ज़मीन भला कैसे ली जा सकती है.
‘RJD के लोगों के पास इतनी जमीन कि वो किसी में भी दफ्तर खोल लें’
ललन सिंह यहीं नही रुके. उन्होंने आरजेडी पर आरोप लगाते हुए कहा कि 2015 में बिहार में महागठबंधन की सरकार थी तब बिहार का भवन निर्माण मंत्री कौन था, आरजेडी का था, तब क्यों नहीं करवा लिया था. हाईकोर्ट से बात कर के ज़मीन वापस लेकर अपने (आरजेडी) कार्यालय का विस्तार करवा लेते. उन्होंने तंज कसा कि आरजेडी के लोगों के पास इतनी ज़मीन है कि वो किसी में भी दफ़्तर खोल लें.
जगदानंद सिंह के यह कहने पर कि जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी है और संख्या के आधार पर आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है तो उसे विस्तार के लिए ज़मीन क्यों नहीं मिल रही है. इस सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि कोई भी फैसला ऐसे नहीं होता है. जब आरजेडी के 22 विधायक थे, तब क्या उनका दफ़्तर ले लिया गया था, क्या कोई भी निर्णय नीतिगत होता है.
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया था कि वर्ष 1990 में जब लालू यादव मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को कार्यालय खोलने के लिए ज़मीन देने की घोषणा की थी. आरजेडी ने बीजेपी को ज़मीन दी थी, तब जेडीयू अस्तित्व में नहीं था. जो दल थे उन्हें स्थान दिया गया गया था, इस पर ललन सिंह सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो वो सबूत दिखाएं कि लालू यादव ने ऐसा कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया था. नीतीश कुमार ने सबसे पहले 2005 में इस तरह का फैसला लिया था.
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