बिहार, भारत के एक महत्वपूर्ण राज्य के रूप में अपनी धर्म, संस्कृति और समाज के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर जातियों का एक अच्छा अंश है, और बिहार में जातियों की जनसंख्या के आंकड़े अधिक गहराई से जानकारी प्रदान करते हैं।
बिहार में जातियों के आंकड़े के मुताबिक, सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग में है, जिनकी संख्या 4,70,80,514 है। इसके बाद, पिछड़ा वर्ग 27.12% है, जिनकी तादाद 3,54,63,936 है। अनुसूचित जाति का प्रतिशत 19.65% है और इनकी आबादी 2,56,89,820 है। अनुसूचित जनजाति की आबादी 21,99,361 है, जो कुल आबादी का 1.68% है। जनरल कास्ट, जिसे सवर्ण भी कह सकते हैं, की आबादी 2,02,91,679 है, जो बिहार की कुल आबादी का 15.52% है।
नीतीश सरकार ने एक रिपोर्ट में कुल 215 जातियों के आंकड़े जारी किए हैं, जो बिहार में जाति के हिसाब से जनसंख्या को दर्शाते हैं।इस आंकड़ों के अनुसार,
- मुसलमान 17.70% हैं,
- यादव 14.27%,
- कुर्मी 2.88%,
- कुशवाहा 4.21%,
- ब्राह्मण 3.66%,
- भूमिहार 2.87%,
- राजपूत 3.45%,
- मुसहर 3.09%,
- मल्लाह 2.61%,
- बनिया 2.32%,
- कायस्थ 0.60%
- यादव- 14.27%
- दुसाध, धारी, धरही- 5.31%
- मोची, चमार, रविदास- 5.26%
- कुशवाह (कोइरी)- 4.21%
- ब्राह्मण- 3.66%
- मोमिन- 3.55%
- राजपूत- 3.45%
- शेख- 3.82%
- मुसहर- 3.09%
- कुर्मी- 2.88%
- भूमिहार- 2.87%
- तेली- 2.81%
- मल्लाह- 2.61%
- बनिया- 2.32%
- कानू- 2.21%
- धानुक- 2.14%
- नोनिया- 1.91%
- सुरजापुरी मुस्लिम- 1.87%
- पान, सवासी, पानर- 1.70%
- चन्द्रवंशी- 1.65%
- नाई- 1.59%
- बढ़ई- 1.45%
- धुनिया- 1.43%
- प्रजापति- 1.40%
- कुंजरा- 1.40%
यह आंकड़े बिहार के समाज में विविधता को प्रकट करते हैं, और इस राज्य के लोगों के बीच सामाजिक संरचना को समझने में मदद करते हैं। इन आंकड़ों का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इनके माध्यम से हम समाज में समाजिक और आर्थिक संघर्षों को समझ सकते हैं और इनके समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
इस रिपोर्ट से हमें यह सिखने को मिलता है कि बिहार का समाज एक बहुत विविध और जटिल रूप है, और जातियों के बीच अलग-अलग सामाजिक स्थान हैं। यह आंकड़े सरकार को सामाजिक और आर्थिक सुधार की दिशा में काम करने में मदद कर सकते हैं, ताकि हर वर्ग का विकास हो सके और सबका साथ बढ़ सके।