शाहनवाज हुसैन को बिहार की राजनीति में उतारकर अल्पसंख्यकों को साधना चाहती है बीजेपी।
बिहार में MLC सीट के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने सोमवार को अपना नामांकन दाखिल किया। सीएम नीतीश कुमार और एनडीए के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उनके साथ नामांकन पत्र दाखिल किया।
बाद में उन्होंने मीडिया को बताया कि पार्टी द्वारा उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, उसका वह निर्वहन करेंगे।
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक शाहनवाज हुसैन बिहार कैबिनेट में बीजेपी से पहला मुस्लिम चेहरा होंगे, इससे अल्पसंख्यक समुदाय को स्पष्ट संदेश दिया जाएगा कि उनका बीजेपी की सरकार में कोई विरोध नहीं है या वह मुस्लिमों को नजरअंदाज नहीं करती है। पूरी संभावना कि शहनाज़ हुसैन को किसी भी प्रमुख विभाग के मंत्री के रूप में राज्य मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिल सकती है।
बिहार में Aimim के बढ़ते प्रभाव को कम करने का है प्रयास
सूत्रों के अनुसार उन्हें अल्पसंख्यक बहुल सीमांचल क्षेत्रों में पार्टी का आधार मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस इलाके में AIMIM ने विधानसभा चुनावों में कुल पांच सीटों पर जीत दर्ज की है।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बिहार की राजनीति में दो बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को मैदान में उतरने से भाजपा के फैसले से राजद के मुस्लिम-यादव समीकरण को तोडने का इरादा है।
बिहार की राजनीति में शाहनवाज हुसैन का आना बीजेपी का एक बड़ा दांव है, क्योंकि वह दो दशकों से भी ज्यादा समय से केंद्र की राजनीति में लगे रहे है।
लगता है कि भाजपा ने पहले एक मुस्लिम चेहरा लाकर यह संदेश देना चाहती है कि भाजपा कभी भी राजनीति में मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। भाजपा का यह कदम बिहार में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बढ़ते प्रभाव को कम करने में असरकारी साबित हो सकता है।
शाहनवाज़ हुसैन सीमांचल के अल्पसंख्यक बहुल इलाके किशनगंज से सांसद रह चुके है। अटल बिहारी बाजपेई के कार्यकाल में वह केंद्र में मंत्री भी रह चुके है।